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यह कालिदास के रघुवंश नामक बृहत् महाकाव्य की छंद मीमांसा का विशाल ग्रंथ शोध विद्यार्थियों के लिए शोध विषयों का सुवर्ण भंडार है, रामायण प्रेमी और छंद ज्ञान पिपासुओं के लिए अथाह ज्ञान सागर है, रामायण ज्ञानियों के लिए अपूर्व विवेक कल्पतरू है और रामायण लेखकों के लिए अटूट भांडागार है.This Monumental Work is a Goldmine of Research Topics for the Research Scholars, an Infinite Ocean of Knowledge for the Prosody Knowledge Seekers, a unique Wishing Well for the Ramayan Thinkers and an Inexhaustible Storehouse of subjects for the Ramayan Writers and Commentators.
महाराजा चाच, दाहीर, बप्पा रावल, पृथ्वीराज चौहान, लक्ष्मणसिंह, महारानी पद्मिनी, हम्मीरसिंह, राणा मोकल, राणाकुम्भा, महाराणा संग्रामसिंह, महाराणा उदयसिंह सहित राजपूताने के संपूर्ण इतिवृत्त और राजपूत वंशावलियों और मानचित्र-नक्षों समेत महावीर महाराणा प्रतापसिंह के स्वर्गारोहण तक के विस्तृत हृदयंगम इतिहास का दोहा छंद में गीत संगीत के साथ प्रातःस्मरणीय चरित्र.
अद्वैत वैदिक धर्म के पुनरुत्थापक आदि शंकराचार्य के महान तात्त्विक चिकित्सा ग्रंथ छंद प्रचुर "विवेकचूडामणि" के छंदों की यह वैयाकरणीय मीमांसा है. संस्कृत के विशाल साहित्य सागर के महाकाव्य संपदा में 193 छंद-उपछंदों का जितना विस्तृत सोदाहरण प्रयोग विवेकचूडामणि में विद्यमान है उतना अन्यत्र कहीं प्रयुक्त नहीं है. कविवर शंकराचार्य जी की सुंदरतम और अलंकृत वाणी के प्रत्येक पद्य के प्रत्येक चरण का छंद-सूत्र, संधिविग्रह और उनका विश्लेषण सुव्यवस्थित रीति से तालिकाबद्ध पद्धति से यहाँ सुविधाजनक प्रस्तुत किया है. This book is a Research Work on the Prosody of the epic poem Vivekchudamani of the Great Poet Shankaracharya. It has a deep analytical and grammatical study of 193 meters and sub meters of Vivekachudamani. It is hoped that this study will inspire and provide ample material for the thinkers, students and the research scholars.
संस्कृत महाकवि कालिदास के शाकुन्तलम् की छंद मीमांसा. कविवर कालिदास जी को यह अनुपम महाकाव्य लिखते समय वाणी को रसमय और सुंदरतम अलंकृत करने के साथ-साथ ही छंद-सूत्र के अनुसार लघु-गुरु मात्राओं की सुत्रबद्धता सिद्ध करने के लिए, क्या-क्या कष्ट झेलने पड़े थे उनकी सूक्ष्म मीमांसा सुव्यवस्थित रीति से यहाँ की गई है. This is a Research Work on the Prosody of the epic Shakuntala of the Great Poet Laureate Kalidas. While writing this Epic, in order to make the language ornate and most beautiful, as well as to prove the coherence of the short and long vowels according to the formula of the meters, what intricacies he had to go through is explained here in a systematic manner. It is hoped that this study will inspire and provide ample material for the thinkers, students and the research scholars.
सामवेद से उत्पन्न रागों पर आधारित लयबद्ध शास्त्रीय संगीत जो प्रेमी हारमोनियम पर आरंभ से सीखना सिखाना चाहता है उसके लिए 50 रागों में कहरवा, दादरा, रूपक, झप ताल, एक ताल, चौ ताल, दीपचंदी, तीन ताल आदि तालों में निर्माण किया हुआ यह संगीत गुरु संगीत-गुरु है. हारमोनियम पर भारतीय संगीत बजाने और गाने का अर्थ है अपने हारमोनियम के सुर और अपनी आवाज को तबले के बोल के साथ संतुलित करना. हारमोनियम एक रीड वाद्य होने के कारण, इसके सुर हमारे वोकल कॉर्ड के स्वर के काफी करीब होते हैं. जिस तरह हम हमेशा एक ही नियमित स्वर में हर शब्द को बोलते या गाते नहीं हैं, वैसे ही हारमोनियम के स्वरों को भी नरम, मध्य या कठोर स्वरों में बदलना पड़ता है. गीत के शब्द और मनोदशा और गायक की आवाज से मेल खाने के लिए धीरे, मध्य या तेज गति में बदला जाता है. इस पुस्तक में मात्रा ज्ञान, नाद ज्ञान, श्रुति ज्ञान, वर्ण ज्ञान, स्वर ज्ञान, सप्तक ज्ञान, थाट ज्ञान, लय ज्ञान, ताल ज्ञान, अलंकार ज्ञान, राग ज्ञान, वाद्य ज्ञान, गायन ज्ञान, आदि सभी वगषयों को स्पष्ट किया है.
संस्कृत महाकवि कालिदास के ऋतुसंहार महाकाव्य की सविस्तर छंद मीमांसा. कविवर कालिदास जी को ऋतुसंहार महाकाव्य लिखते समय वाणी को रसमय और सुंदरतम अलंकृत करने के साथ-साथ ही छंद-सूत्र के अनुसार लघु-गुरु मात्राओं की सुत्रबद्धता सिद्ध करने के लिए, क्या-क्या कष्ट झेलने पड़े थे उनकी सूक्ष्म मीमांसा सुव्यवस्थित रीति से यहाँ की गई है. यही पेचीदा समस्याएँ कविवर कालिदास ने शकुन्तला महाकाव्य लिखते समय भी झेली थीं महान काव्य की संक्षिप्त छंद मीमांसा आगे वाली पुस्तक में विद्यमान हैं.A Research Work on the Prodosy of the epic poem of Ritusamhar of the Great Poet Laureate Kalidas. While writing the Epic of Ritusamhar, poet Kalidas, in order to make the language ornate and most beautiful, as well as to prove the coherence of the short and long vowels according to the formula of the meters, what intricacies he had to go through is explained here in a systematic manner. The same complex problems were faced by poet Kalidas while writing his two other great work, Shakuntala. The analysis of the meters in this great epic is given in our book. It is hoped that this study will inspire and provide ample material for the thinkers, students and the research scholars.
The wealth of wisdom, which sages filled for centuries, that ocean of knowledge is contained in this research oriented scholarly work.
It is world's first Sanskrit rendering of the Gita, wholly in Anushtubh Shloka chhanda of Valmiki Ramayan. Its brand new 1447 sholks are in union with the 700 verses of the Shrimad Bhagavad Gita. This work is neither a translation nor a commentary, but it is a devotional musical poetry on the Shrimad Bhagavad Gita. Its objective is to answer the unanswered questions and question the unquestioned answers, while defining each yogic term clearly, in sweet musical language. While doing so, the aim is to provide a proper background for the Gita and to remove the misconceptions, wrong notions and missing links that linger in the commentaries on the Gita.
Our Glorious Royal Families form the ancient times to 1948 with special reference to their Hindu Cultural Contributions.
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