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Bøker av Suman Nalwa

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  • av Suman Nalwa
    397

    एक श्लोक है-'यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते, रमन्ते तत्र देवताः' यानी जहाँ नारी का सम्मान होता है, वहाँ देवताओं का वास होता है। इसलिए भारत में स्त्रीशक्ति का सबसे अधिक सम्मान रहा और नारी की अस्मिता की रक्षा के लिए अनके निर्णायक युद्ध हुए। स्वयं नारी ने अपनी लाज की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति तक दे दी। पर युग बदल गया है, नारी अब अपने स्वाभिमान और सम्मान की रक्षा के लिए अपनी आहुति नहीं देगी वरन् स्वयं को अपनी रक्षा के लिए समर्थ बनाएगी और उसे स्पर्श करने का प्रयास करनेवाले का प्रतिकार करेगी। इस पुस्तक में महिलाओं या लड़कियों की आत्मरक्षा से संबंधित विभिन्न उपायों की चर्चा की गई है, जिन्हें जानकर कोई लड़की या महिला खुद में अपराधी से लड़ने का आत्मविश्वास पैदा कर सकती है। साथ ही इसकी सहायता से खुद को मजबूत, सजग, सेहतमंद, चुस्तदुरुस्त बना सकती है, वहीं आत्मरक्षा के अचूक सूत्रों को सीख सकती है; आत्मरक्षा से संबंधित सारी जानकारियाँ प्राप्त कर सकती है। यह पुस्तक किसी भी खतरनाक परिस्थिति में अपना बचाव करने और उससे उबरने में लगभग सभी आयुवर्ग की महिलाओं के लिए मददगार साबित हो सकती है। लड़कियों को सेल्फ डिफेंस यानी आत्मरक्षा के व्यावहारिक गुण बताती जनोपयोगी पुस्तक।

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