Utvidet returrett til 31. januar 2025

Bøker av Tr Abhishek Shrivastava

Filter
Filter
Sorter etterSorter Populære
  • av Aruna Roy & Tr Abhishek Shrivastava
    477,-

    ''ब्यावर की गलियों से उठकर राज्य की विधानसभा से होते हुए संसद के सदनों और उसके पार विकसित होते एक जनान्दोलन को मैंने बड़े उत्साह के साथ देखा है। यह पुस्तक, अपनी कहानी की तर्ज पर ही जनता के द्वारा और जनता के लिए है। मैं खुद को इस ताकतवर आन्दोलन के एक सदस्य के रूप में देखता हूँ।''कुलदीप नैयर, मूर्धन्य पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता''यह कहानी हाथी के खिलाफ चींटियों की जंग की है। एम.के.एस.एस. ने चींटियों को संगठित कर के राज्य को जानने का अधिकार बनाने के लिए बाध्य कर डाला। गोपनीयता के नाम पर हाशिये के लोगों को हमेशा अपारदर्शी व सत्ता-केन्द्रित राज्य का शिकार बनाया गया लेकिन वह जमीन की ताकत ही थी जिसने संसद को यह कानून गठित करने को प्रेरित किया जैसा कि हमारे संविधान की प्रस्तावना में निहित है, यह राज्य 'वी द पीपल' (जनता) के प्रति जवाबदेह है। पारदर्शिता, समता और प्रतिष्ठा की लड़ाई आज भी जारी है..।'' बेजवाड़ा विल्सन, सफाई कर्मचारी आन्दोलन, मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित ''यह एक ऐसे कानून के जन्म और विकास का ब्योरा है जिसने इस राष्ट्र की विविधताओं और विरोधाभासों को साथ लेते हुए भारत की जनता के मानस पर ऐसी छाप छोड़ी है जैसा भारत का संविधान बनने से लेकर अब तक कोई कानून नहीं कर सका। इसे मुमकिन बनानेवाली माँगों और विचारों के केन्द्र में जो भी लोग रहे, उन्होंने इस परिघटना को याद करते हुए यहाँ दर्ज किया यह भारत के संविधान के विकास के अध्येताओं के लिए ही जरूरी पाठ नहीं है बल्कि उन सभी महत्त्वाकांक्षी लोगों के लिए अहम है जो इस संकटग्रस्त दुनिया के नागरिकों के लिए लोकतंत्र के सपने को वास्तव में साकार करना चाहते हैं।'' वजाहत हबीबुल्ला, पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त, सीआईसी ''देश-भर के मजदूरों और किसानों के लिए न्याय व समता के प्रसार में बीते वर्षों के

Gjør som tusenvis av andre bokelskere

Abonner på vårt nyhetsbrev og få rabatter og inspirasjon til din neste leseopplevelse.