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Bøker utgitt av Rajkamal Prakashan

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  • av Harishankar Parsai
    166,-

    Reading books is a kind of enjoyment. Reading books is a good habit. We bring you a different kinds of books. You can carry this book where ever you want. It is easy to carry. It can be an ideal gift to yourself and to your loved ones. Care instruction keep away from fire.

  • av Ravish Kumar
    180,-

    Ishq Mein Shahar Hona ( Volume 1 of Laprek Trilogy)¿¿ ¿¿¿¿ ¿¿¿¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿ ¿¿¿¿ ¿¿¿ ¿¿, ¿¿¿¿ ¿¿¿¿ ¿¿¿¿¿¿¿¿ ¿¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿ ¿¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿¿¿¿. ¿¿¿¿ ¿¿¿¿¿¿ ¿¿¿¿¿¿¿ ¿¿¿¿¿¿¿¿¿ ¿¿¿¿ ¿¿¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿¿¿¿¿ ¿¿¿¿. "¿¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿ ¿¿¿¿¿ ¿¿¿¿ ¿¿¿¿¿ ¿¿ ! ¿¿ ¿¿¿ ¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿¿ ¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿¿¿ ¿¿¿¿ ¿¿¿¿ ¿¿¿ ! ¿¿ ¿¿¿¿¿ ¿¿¿ ¿¿¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿ ¿¿¿....¿¿ ¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿ ¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿¿ ¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿¿ ¿¿¿ ¿¿¿¿ ¿¿¿ ! ¿¿ ¿¿¿¿¿ ¿¿¿ ¿¿¿¿ ¿¿¿¿¿ ¿¿¿ ¿¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿¿ ¿¿¿¿¿¿ ¿¿¿¿ ¿¿¿¿ ! ¿¿ ¿¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿¿ ¿¿¿ ¿¿¿¿ ¿¿¿ ¿¿¿¿¿¿ ¿¿¿¿ ¿¿ ! '¿¿¿¿¿¿' ¿¿¿ ¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿¿¿ ¿¿ !"Ishq Koi News Nahin ( Volume 3 of Laprek Trilogy)¿¿ ¿¿¿¿¿ ¿¿ "¿¿¿¿¿" ¿¿¿¿ ¿¿¿¿ ¿¿¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿, ¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿ ¿¿¿¿¿¿ ¿¿¿¿¿ ¿¿; ¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿ ¿¿¿ ¿¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿ ¿¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿¿¿¿ . ¿¿¿¿¿¿¿¿ ¿¿¿ ¿¿¿¿¿, ¿¿¿¿¿¿¿¿, ¿¿¿¿¿¿, ¿¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿¿¿ ¿¿¿¿¿ ¿¿¿¿¿¿¿¿ ¿¿¿¿¿-¿¿ ¿¿ ¿¿-¿¿, ¿¿¿¿¿, ¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿¿¿¿ ¿¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿¿ ¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿ ¿¿¿¿ ¿¿ | ¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿, ¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿, ¿¿¿¿¿¿ ¿¿¿ ¿¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿, ¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿¿¿¿ ¿¿¿ ¿¿¿¿¿ ¿¿¿¿ ¿¿¿¿¿¿, ¿¿¿¿¿ ¿¿¿¿¿¿¿¿¿ ¿¿¿¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿ ¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿ ¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿ | ¿¿¿¿¿¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿ ¿¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿¿¿ ¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿¿¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿ ¿¿¿, ¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿ ¿¿¿¿¿¿ ¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿ ¿¿¿¿¿ ¿¿¿ ¿¿¿¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿ ¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿¿¿¿¿¿ ¿¿¿¿ ¿¿¿ | '¿¿¿¿ ¿¿¿ ¿¿¿¿¿¿ ¿¿¿¿' ¿¿ ¿¿¿¿¿¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿¿¿¿ ¿¿¿¿¿¿¿ ¿¿ |

  • av Sharad Pawar
    260 - 495,-

  • av Vineet Kumar
    166,-

    NA

  • av Geetesh Sharma
    166,-

    Reading books is a kind of enjoyment. Reading books is a good habit. We bring you a different kinds of books. You can carry this book where ever you want. It is easy to carry. It can be an ideal gift to yourself and to your loved ones. Care instruction keep away from fire.

  • av Maitreyi Pushpa
    223 - 412,-

  • av Shivmurti
    209 - 412,-

  • av Ajay Shukla
    180 - 384,-

  • av Vishwanath Tripathi
    195 - 398,-

  • av Ajay Shukla
    195 - 398,-

  • av Bhishma Sahni
    223 - 426,-

  • av Harishankar Parsai
    209 - 412,-

  • av Pramila K. P.
    412,-

  • av Avadhesh Preet
    223,-

    Chand Ke Paar Ek Chabhi

  • av Udayan Vajpeyi
    209 - 412,-

  • av Nemeth Laszlo, Margit Koves & Tr Girdhar Rathi
    223 - 426,-

  • av Kedarnath Singh
    180 - 384,-

  • av Shankha Ghosh & Tr Prayag Shukla
    195 - 398,-

  • av Babusha Kohli
    260 - 468,-

  • av Aruna Roy & Tr Abhishek Shrivastava
    495,-

    ''ब्यावर की गलियों से उठकर राज्य की विधानसभा से होते हुए संसद के सदनों और उसके पार विकसित होते एक जनान्दोलन को मैंने बड़े उत्साह के साथ देखा है। यह पुस्तक, अपनी कहानी की तर्ज पर ही जनता के द्वारा और जनता के लिए है। मैं खुद को इस ताकतवर आन्दोलन के एक सदस्य के रूप में देखता हूँ।''कुलदीप नैयर, मूर्धन्य पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता''यह कहानी हाथी के खिलाफ चींटियों की जंग की है। एम.के.एस.एस. ने चींटियों को संगठित कर के राज्य को जानने का अधिकार बनाने के लिए बाध्य कर डाला। गोपनीयता के नाम पर हाशिये के लोगों को हमेशा अपारदर्शी व सत्ता-केन्द्रित राज्य का शिकार बनाया गया लेकिन वह जमीन की ताकत ही थी जिसने संसद को यह कानून गठित करने को प्रेरित किया जैसा कि हमारे संविधान की प्रस्तावना में निहित है, यह राज्य 'वी द पीपल' (जनता) के प्रति जवाबदेह है। पारदर्शिता, समता और प्रतिष्ठा की लड़ाई आज भी जारी है..।'' बेजवाड़ा विल्सन, सफाई कर्मचारी आन्दोलन, मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित ''यह एक ऐसे कानून के जन्म और विकास का ब्योरा है जिसने इस राष्ट्र की विविधताओं और विरोधाभासों को साथ लेते हुए भारत की जनता के मानस पर ऐसी छाप छोड़ी है जैसा भारत का संविधान बनने से लेकर अब तक कोई कानून नहीं कर सका। इसे मुमकिन बनानेवाली माँगों और विचारों के केन्द्र में जो भी लोग रहे, उन्होंने इस परिघटना को याद करते हुए यहाँ दर्ज किया यह भारत के संविधान के विकास के अध्येताओं के लिए ही जरूरी पाठ नहीं है बल्कि उन सभी महत्त्वाकांक्षी लोगों के लिए अहम है जो इस संकटग्रस्त दुनिया के नागरिकों के लिए लोकतंत्र के सपने को वास्तव में साकार करना चाहते हैं।'' वजाहत हबीबुल्ला, पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त, सीआईसी ''देश-भर के मजदूरों और किसानों के लिए न्याय व समता के प्रसार में बीते वर्षों के

  • av Sanjay Sahay
    426,-

  • av Mohandas Karamchand Gandhi
    537,-

    महात्मा गांधी की हत्या दिल्ली में उनके प्रार्थना-सभा में जाते हुए हुई थी। लेकिन इस पर कम ध्यान दिया गया है कि गांधी जी ने प्रार्थना-सभा के रूप में अपने समय और स्वतन्त्रता-संग्राम के दौरान एक अनोखी नैतिक-आध्यात्मिक और राजनैतिक संस्था का आविष्कार किया था। थोड़े आश्चर्य की बात यह है कि आज भी यानी गांधी जी के सेवाग्राम छोड़े ७० से अधिक बरसों बाद भी वहाँ हर दिन सुबह-शाम प्रार्थना-सभा होती है उसमें सभी धर्मों से पाठ होता है जिनमें हिन्दू, इस्लाम, ईसाइयत, बौद्ध, जैन, यहूदी, पारसी आदि शामिल हैं। दुनिया में, जहाँ धर्मों को लेकर इतनी हिंसा-दुराव-आतंक का माहौल है वहाँ कहीं और ऐसा धर्म-समभाव हर दिन नियमित रूप से होता हो, लगता या पता नहीं है।प्रार्थना-सभा में अन्त में गांधी जी बोलते थे। उनके अधिकांश विचार इसी अनौपचारिक रूप में व्यक्त होते थे। उनका वितान बहुत विस्तृत था। उन्हें दो खण्डों में प्रकाशित करना हमारे लिए गौरव की बात है। इसलिए भी रज़ा गांधी को भारत का बुद्ध के बाद दूसरा महामानव मानते थे।

  • av Harishankar Parsai
    209 - 412,-

  • av Kamleshdutt Tripathi
    495,-

    'अमरुशतकम्' संस्कृत काव्य का एक गौरव-ग्रन्थ है। उसमें ऐन्द्रियता और शृंगार की, प्रेम और रति की अपार सूक्ष्मताएँ और छबियाँ ऐसे अद्भुत काव्य-कौशल से उकेरी गयी हैं कि उनका मूल संस्कृत के अलावा हिन्दी अनुवाद में भी आस्वाद सम्भव है। यह संचयन एक बार फिर याद दिलाता है कि भारतीय शृंगार की परम्परा विश्व स्तर पर एक अनोखी परम्परा है जिसमें बखान, उन्मीलन, सांकेतिकता, अन्वय आदि के अनेक पक्ष कविता में सहज सम्भव होते रहे हैं। हम इस पुस्तक के पुनप्र्रकाशन से उस विरासत की ओर आधुनिक काव्य-रसिकों का ध्यान खींचने की चेष्टा कर रहे हैं।

  • av Gangaprasad Pandeya
    509,-

    "निराला हमारे उन कालजयी कवियों में से हैं जिनके जीवन और कृतित्व के बारे में जानने-समझने की हमारी जिज्ञासा लगातार बनी रहती है। 'महाप्राण निराला' बहुत पहले प्रकाशित हुई थी जिसमें महादेवी की प्रस्तावना है और स्वयं निराला की हस्तलिपि में उनकी एक टिप्पणी। पुस्तक में आत्मीय संस्मरण और आलोचना का मोहक और सार्थक समन्वय है। यह बरसों से अप्राप्य थी और हमें उसका पुनप्र्रकाशन करते हुए प्रसन्नता है कि उन पर पहली पुस्तकों में से एक हम फिर उपलब्ध करा पा रहे हैं। यह याद करना ज़रूरी है कि निराला को उनकी कठिन जि़न्दगी और जटिल कविता को समझने की कोशिश हिन्दी आलोचना काफी पहले से करती रही है।" -- अशोक वाजपेयी

  • av Ed Prabhudyal Meetal
    481,-

    Collection of poetry by 20th century Braj poets.

  • av Udayan Vajpeyi
    412,-

    कमलेश अपनी पीढ़ी के सम्भवत सबसे पढ़े-लिखे कवि-चिन्तक थे। जितना ज्ञान उन्होंने संसार भर से अपने पास इकट्ठा किया था उसकी तुलना में उन्होंने लिखा कम। उनके पास ज्ञान-पगी दृष्टि थी जो उनकी मूलत कविदृष्टि को समृद्ध और विलक्षण बनाती थी। उनसे एक लम्बा संवाद और उनका एक निबन्ध इस पुस्तक में शामिल किया गया है जो इस माला के पहले सैट में इस विश्वास के साथ प्रकाशित की जा रही है कि उनके चिन्तन और गद्य की यह पुस्तक पाठकों को विचारोत्तेजक लगेगी। कमलेश में परम्परा की गहरी समझ और पैठ तथा आधुनिकता से प्रोत्साहित प्रश्नाकुलता में कोई दूरी नहीं है जो उन्हें एक अपवाद बनाती है।-अशोक वाजपेयीहिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि, विचारक, अनुवादक और राजनीतिकर्ता अब दिवंगत इनके तीन कविता संग्रह, 'जरत्कारु', 'खुले में आवास' और 'बसाव' प्रकाशित हुए हैं। कमलेश जी की कविताओं में भारतीय परम्परा की समृद्धि के दर्शन को अनेक आलोचकों ने रेखांकित किया है। इन्होंने पाब्लो नेरूदा की प्रसिद्ध कविता 'माचू पिच्चू के शिखर' समेत अनेक कविताओं के अनुवाद किये हैं। कमलेश जी ने साहित्य और इतिहास आदि अनेक अनुशासनों की पुस्तकों पर विस्तार से लिखा है। अपने निधन से पहले कमलेश जी भारत की जाति-व्यवस्था आदि अनेक संस्थाओं को औपनिवेशिक विचारों के कुहासे से बाहर निकालकर सम्यक आलोक में देखने का महती प्रयत्न कर रहे थे।

  • av Subhash Kashyap
    426,-

  • av Kedarnath Singh
    384,-

  • av Nandkishore Naval
    412,-

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