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प्रवासी

Om प्रवासी

श्रीकृष्ण के मथुरा चले जाने पर ब्रजवासियों को कृष्ण के विरह की पीड़ा अत्यंत व्यग्र करती रहती है । विशेष रूप से गोपियाँ और राधिका इस विरह वेदना से अधीर होकर उस प्रवासी कृष्ण को याद करती हुई उससे अपने विरही मन की व्यथा कहती हैं । बीते दिनों की याद में कभी वे आनन्दित होती हैं तब उनके मुख पर सहज हास्य खेलने लगता है परंतु कृष्ण की याद आते ही वे पुनः वेदना के सागर में डूबने लगती हैं । बार बार वे प्रवासी कृष्ण से पूछती है कि क्या वह उन स्मृतियों को भुला चुका है । क्या वह उन्हें याद नहीं करता ? वही विरह की पीड़ा तथा कृष्ण के साथ बीते दिनों की मधुर स्मृतियों की एक झलक है प्रस्तुत पुस्तक - 'प्रवासी'

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  • Språk:
  • Hindi
  • ISBN:
  • 9789354585425
  • Bindende:
  • Paperback
  • Sider:
  • 80
  • Utgitt:
  • 3. september 2021
  • Dimensjoner:
  • 127x5x203 mm.
  • Vekt:
  • 95 g.
Leveringstid: 2-4 uker
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Beskrivelse av प्रवासी

श्रीकृष्ण के मथुरा चले जाने पर ब्रजवासियों को कृष्ण के विरह की पीड़ा अत्यंत व्यग्र करती रहती है । विशेष रूप से गोपियाँ और राधिका इस विरह वेदना से अधीर होकर उस प्रवासी कृष्ण को याद करती हुई उससे अपने विरही मन की व्यथा कहती हैं । बीते दिनों की याद में कभी वे आनन्दित होती हैं तब उनके मुख पर सहज हास्य खेलने लगता है परंतु कृष्ण की याद आते ही वे पुनः वेदना के सागर में डूबने लगती हैं । बार बार वे प्रवासी कृष्ण से पूछती है कि क्या वह उन स्मृतियों को भुला चुका है । क्या वह उन्हें याद नहीं करता ? वही विरह की पीड़ा तथा कृष्ण के साथ बीते दिनों की मधुर स्मृतियों की एक झलक है प्रस्तुत पुस्तक - 'प्रवासी'

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