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Safar Ek Dongi Main Dagmag

Om Safar Ek Dongi Main Dagmag

सफ़र एक डोंगी में डगमग' यात्रा-वृत्तान्त के तौर पर जितनी रोमांचक है उतना ही मजबूत इसका ऐतिहासिक और भौतोलिक पक्ष भी है ! डगमग डोंगी के साथ चलते हुए लेखक घाट-घाट के ऐतिहासिक महत्त्व के पर्दों को हमारे सामने इस तरह खोलता जाता है, जैसे कोई पुरातत्वविद खुदाई कर इतिहास को हमारे सामने ला खड़ा कर देता है ! यह पुस्तक उत्तर-पूर्वी भारत की बदलती भौगोलिक संरचना, संस्कृति और बोलियों को समझने में एक विशिष्ट दस्तावेज की तरह भी काम करती है ! दिल्ली की 'ओखला हेड' जैसी छोटी नाहर से यात्रा शुरू कर जल्द ही यमुना में हिलोरें भारती डोंगी मथुरा, आगरा, इलाहबाद, बनारस, कानपुर और पटना होती हुई अंततः कलकत्ता की हुगली नदी में जाकर रूकती है ! लेखक को यह यात्रा पुरी करने में जहाँ बासठ दिन लगते हैं, वहीँ किताब लिखने में तीस साल ! लेखक के साथ डोंगी भी अपना इतिहास लिखती हुई चलती है ! इसमें नदियाँ जीते-जागते किरदारों की तरह हैं, इसमें नदियाँ जीते-जागते किरदारों की तरह है, जो कूद-कूद कर पन्तिबद्ध आते हैं, अठखेलियाँ करती हैं और अपना नाम दर्ज कराती खो जाती हैं ! 'सफ़र एक डोंगी में डगमग' रोमांच, बेचैनी, उकताहट, संघर्ष, जिजीविषा, दोस्ती और ढेरों किस्सों में बंधी किताब है जो आखिरी पन्नो तक पाठकों को बांधे रहती है !

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  • Språk:
  • Hindi
  • ISBN:
  • 9788126726738
  • Bindende:
  • Hardback
  • Sider:
  • 206
  • Utgitt:
  • 1. januar 2014
  • Dimensjoner:
  • 140x16x216 mm.
  • Vekt:
  • 408 g.
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Beskrivelse av Safar Ek Dongi Main Dagmag

सफ़र एक डोंगी में डगमग' यात्रा-वृत्तान्त के तौर पर जितनी रोमांचक है उतना ही मजबूत इसका ऐतिहासिक और भौतोलिक पक्ष भी है ! डगमग डोंगी के साथ चलते हुए लेखक घाट-घाट के ऐतिहासिक महत्त्व के पर्दों को हमारे सामने इस तरह खोलता जाता है, जैसे कोई पुरातत्वविद खुदाई कर इतिहास को हमारे सामने ला खड़ा कर देता है ! यह पुस्तक उत्तर-पूर्वी भारत की बदलती भौगोलिक संरचना, संस्कृति और बोलियों को समझने में एक विशिष्ट दस्तावेज की तरह भी काम करती है ! दिल्ली की 'ओखला हेड' जैसी छोटी नाहर से यात्रा शुरू कर जल्द ही यमुना में हिलोरें भारती डोंगी मथुरा, आगरा, इलाहबाद, बनारस, कानपुर और पटना होती हुई अंततः कलकत्ता की हुगली नदी में जाकर रूकती है ! लेखक को यह यात्रा पुरी करने में जहाँ बासठ दिन लगते हैं, वहीँ किताब लिखने में तीस साल ! लेखक के साथ डोंगी भी अपना इतिहास लिखती हुई चलती है ! इसमें नदियाँ जीते-जागते किरदारों की तरह हैं, इसमें नदियाँ जीते-जागते किरदारों की तरह है, जो कूद-कूद कर पन्तिबद्ध आते हैं, अठखेलियाँ करती हैं और अपना नाम दर्ज कराती खो जाती हैं ! 'सफ़र एक डोंगी में डगमग' रोमांच, बेचैनी, उकताहट, संघर्ष, जिजीविषा, दोस्ती और ढेरों किस्सों में बंधी किताब है जो आखिरी पन्नो तक पाठकों को बांधे रहती है !

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