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अल्फ़ाज़: आओ कुछ साँझा करते 

Om अल्फ़ाज़: आओ कुछ साँझा करते 

मैं कोई शायर या कवि नही हूँ जो इसे पहले कोई बहुत प्रसिद्ध गजलें या कविताये लिखी हो, मैंने जो लिखा हैं वो अब लिखा हैं, तो ये सवाल लाज्मी हैं की आखिर ये किताब क्यूँ ?ये किताब लिखने का कारण ये हैं कि ऐसे बहुत से भाव मेरे मन और दिल में होते हैं जिनको हम अपनी जुबानी किसी के साथ साँझा नही कर सकते ! ऐसे ही बहुत से लोग हैं जो अपने ख्याल खुद साँझा नही कर सकते !मैंने उन्ही ख्यालो को अपने इस किताब में लिखने की कोशिश किया हैं, मेरा इस किताब के लिखने का ये कारण नही हैं की मैं कोई प्रसिद्धी प्राप्त करलू बल्कि मैं अपने और अपने जेसे बंधुवो कि भाव लिखने की कोशिश करता हूँ."चाह नही मुझे किसी शोहरते-ईलम की, मैं लिख सकू और तुम सुन सको बस येही ख्वाइश हैं दिल की"

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  • Språk:
  • Hindi
  • ISBN:
  • 9789358261646
  • Bindende:
  • Paperback
  • Sider:
  • 110
  • Utgitt:
  • 9 september 2023
  • Dimensjoner:
  • 127x7x203 mm.
  • Vekt:
  • 127 g.
Leveringstid: 2-4 uker
Forventet levering: 22 oktober 2024

Beskrivelse av अल्फ़ाज़: आओ कुछ साँझा करते 

मैं कोई शायर या कवि नही हूँ जो इसे पहले कोई बहुत प्रसिद्ध गजलें या कविताये लिखी हो, मैंने जो लिखा हैं वो अब लिखा हैं, तो ये सवाल लाज्मी हैं की आखिर ये किताब क्यूँ ?ये किताब लिखने का कारण ये हैं कि ऐसे बहुत से भाव मेरे मन और दिल में होते हैं जिनको हम अपनी जुबानी किसी के साथ साँझा नही कर सकते ! ऐसे ही बहुत से लोग हैं जो अपने ख्याल खुद साँझा नही कर सकते !मैंने उन्ही ख्यालो को अपने इस किताब में लिखने की कोशिश किया हैं, मेरा इस किताब के लिखने का ये कारण नही हैं की मैं कोई प्रसिद्धी प्राप्त करलू बल्कि मैं अपने और अपने जेसे बंधुवो कि भाव लिखने की कोशिश करता हूँ."चाह नही मुझे किसी शोहरते-ईलम की, मैं लिख सकू और तुम सुन सको बस येही ख्वाइश हैं दिल की"

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