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Uprant

- a collection of Hindi poetry on love & life

Om Uprant

भूल कर सारी भूलों को, आज सिर्फ, जी लेते हैं चल.....खुदगर्ज़ी के रेशों से, कुछ लम्हें बिन लेते हैं, चल.....हाथ किसी का थाम के, दर्द, दर्ज करा आते हैं, चल.....कोई आँख सूनी दिख गयी तो, दो बातें अर्ज करा आते हैं, चल......स्नेहा विश्वकर्मा अपनी कविताओं के जरिये उन अनुभवों की एक झलक दिखती हैं, जिनसे ज़िन्दगी हर रोज़ हो कर गुजरती हैव्यक्तिगत अनुभव से स्नेहा बताती हैं है की एक महिला कैसे अपने आप को अलग महसूस करती है, मुसीबतों को झेलत.

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  • Språk:
  • Hindi
  • ISBN:
  • 9781638735557
  • Bindende:
  • Paperback
  • Sider:
  • 142
  • Utgitt:
  • 29. mai 2021
  • Dimensjoner:
  • 127x203x8 mm.
  • Vekt:
  • 159 g.
Leveringstid: 2-4 uker
Forventet levering: 24. mars 2025

Beskrivelse av Uprant

भूल कर सारी भूलों को, आज सिर्फ, जी लेते हैं चल.....खुदगर्ज़ी के रेशों से, कुछ लम्हें बिन लेते हैं, चल.....हाथ किसी का थाम के, दर्द, दर्ज करा आते हैं, चल.....कोई आँख सूनी दिख गयी तो, दो बातें अर्ज करा आते हैं, चल......स्नेहा विश्वकर्मा अपनी कविताओं के जरिये उन अनुभवों की एक झलक दिखती हैं, जिनसे ज़िन्दगी हर रोज़ हो कर गुजरती हैव्यक्तिगत अनुभव से स्नेहा बताती हैं है की एक महिला कैसे अपने आप को अलग महसूस करती है, मुसीबतों को झेलत.

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